अचानक से ब्रेन में ब्लड की आपूर्ति रूकने की वजह से मस्तिक के ऊतकों का नुकसान होने लगता है. स्ट्रोक की वजह से इंसान बेहोश होने के साथ बोलने, देखने और शारीरिक प्रक्रिया को खोने लगता है. कई बार स्ट्रोक की वजह से मौत हो जाती है. कुछ लोग बच जाते हैं लेकिन विकलांगता के शिकार हो जाते हैं. स्ट्रोक किसी भी उम्र में हो सकता है.
इसके अलावा, यह ध्यान रखना बहुत महत्वपूर्ण है कि ये लक्षण लंबे समय तक नहीं रह सकते हैं – वे जल्दी से गायब हो सकते हैं – शायद कुछ ही मिनटों में! लेकिन शायद एक ‘क्षणिक’ स्ट्रोक /TIA आया है, और जब तक उचित निदान और उपचार तत्काल शुरू नहीं होता है, तो जल्द ही एक पूर्ण विकसित स्ट्रोक होने का एक बड़ा जोखिम होता है! इसलिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि किसी भी लक्षण को नज़रअंदाज़ न किया जाए!
चेहरा (FACE) : व्यक्ति को मुस्कुराने के लिए कहें। क्या एक तरफ का चेहरा / होठ नीचे झुक रहें हैं ?
बाँहें (ARMS) : व्यक्ति को दोनों बाहें ऊपर उठाने को कहें। क्या एक बांह उठती नहीं है या दूसरी से नीचे रहती है ?
बोलना ( SPEECH) : व्यक्ति को एक साधारण वाक्य बोलने के लिए कहें। क्या शब्द सहीं बोले जा रहे है ? क्या वह व्यक्ति वाक्य को सही ढंग से दोहरा सकता है ?
अगर इनमें से कोई भी सही नहीं लगता है तो यह समय (TIME) है के व्यक्ति को तुरंत सही अस्पताल पहुँचाया जाए। वहां पर भी अगर नर्स/ डॉक्टर इत्यादि को बोल दिया जाए कि स्ट्रोक की सम्भावना दिखती है तो और भी बेहतर होगा.
एक खास स्थिति है "मिनी-स्ट्रोक" (mini stroke, अल्प आघात)
इस में लक्षण कुछ ही देर रहते हैं, क्योंकि रक्त सप्लाई में रुकावट खुद दूर हो जाती है । इस मिनी-स्ट्रोक का असर तीस मिनट से लेकर चौबीस घंटे तक रहते हैं, और इसे ट्रांसिएंट इस्कीमिक अटैक्स (transient ischemic attack, TIA) या अस्थायी स्थानिक अरक्तता भी कहते हैं । व्यक्ति को कुछ देर कुछ अजीब-अजीब लगता है, पर वे यह नहीं जान पाते कि यह कोई गंभीर समस्या है । कुछ व्यक्तियों में ऐसे मिनी स्ट्रोक बार बार होते हैं, पर पहचाने नहीं जाते । कुछ केस में ऐसे मिनी स्ट्रोक के थोड़ी ही देर बाद व्यक्ति को बड़ा और गंभीर स्ट्रोक हो सकता है ।
स्ट्रोक में तुरंत इलाज बहुत जरूरी है
इलाज में जितनी देर करें, व्यक्ति की स्थिति उतनी ही बिगड़ती जायेगी । जान भी जा सकती है । इसलिए स्ट्रोक का शक होते ही जल्द से जल्द व्यक्ति को अस्पताल ले जाएं–डॉक्टर शायद व्यक्ति की जान बचा पायें । सही समय पर इलाज करने से शायद डॉक्टर स्ट्रोक के बाद होने वाली दिक्कतें को भी कम कर पायें । दुबारा स्ट्रोक न हो, इस के लिए सलाह भी मिलेगी ।
स्ट्रोक के बाद उचित कदम उठाने से कुछ व्यक्ति तो फिर ठीक हो पाते हैं, पर अन्य व्यक्तियों में कुछ समस्याएँ बनी रहती हैं और रिकवरी पूरी नहीं होती । स्ट्रोक-पीड़ित कई व्यक्ति बाद में भी कुछ हद तक दूसरों पर निर्भर रहते हैं । उन्हें डिप्रेशन (अवसाद) भी हो सकता है, जिस के कारण वे भविष्य के स्ट्रोक से बचने के लिए कदम उठाने में भी दिक्कत महसूस करते हैं ।
एक अन्य आम समस्या है मस्तिष्क की क्षमताओं पर असर । यदि व्यक्ति को बार बार स्ट्रोक (या मिनी-स्ट्रोक) हो, तो क्षमताओं में हानि ज्यादा हो सकती है । व्यक्ति की मानसिक काबिलियत कम हो जाती है । व्यक्ति को डिमेंशिया हो सकता है ।
With the available technology, we may prevent life-threatening complications and even reverse the effects of a stroke if we administer treatment within six hours.
Within first 4.5 hrs IV drug is given which aimed to dissolve clot in the brain and restore the blood flow.
But if clot is blocking large blood vessel and its beyond 4.5 hrs then with MECHANICAL THROMBECTOMY clot can be removed.